दिए गए शब्दों में ‘धनोपार्जन’ का उचित संधि-विच्छेद ‘धन + उपार्जन (अ + उ = ओ)’ है। यह गुण संधि का उदाहरण है।
गुण संधि
जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।