भारत में 16 महाजनपदों का उदय हुआ। जिसमें मगध महाजनपद सबसे समृद्ध और शाक्तिशाली महाजनपद था। मगध पर पहले सबसे शक्तिशाली वंश हर्यंक वंश का उत्कर्ष हुआ। (1) हर्यंक वंश ( 544 ई.पू.-412 ई.पू. ) -बिम्बिसार इस वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था। जिसने हर्यक वंश की नींव रखी। इसके बाद इस वंश के दो प्रतापी राजा अजातशत्रु (492-460 ई.पू.) और उदयिन या उदयभद्र (460- 444 ई. पू.) हुए। (2) नंद वंश (344 ई.पू.-323 ई.पू.) इस वंश का संस्थापक उग्रसेन या महापद्मनंद को माना जाता है। इसनें शिशुनाग वंश के अंतिम राजा कालाशोक या काकवर्ण की हत्या कर नंद वंश की नींव रखी। इसी वंश के अंतिम महान शासक घनानंद के समय ही भारत पर सिकन्दर का आक्रमण हुआ। (3) मौर्य वंश ( 323 ई.पू.-185 ई.पू.)-अपने गुरु चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद शासक घनानंद को पराजित कर 25 वर्ष की आयु में चन्द्रगुप्त मौर्य मगध के राजसिंहासन पर आसीन हुआ। इसके बाद बिंदुसार तथा अशोक जैसे महान मौर्य शासकों ने मगध पर शासन किया। (4) शुंग वंश ( 185-75 ई.पू.) - अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या करके, उसके सेनापति पुष्पमित्र शुंग ने 185 ई.पू. में शुंग राजवंश की स्थापना की। चूंकि पुष्यमित्र शुंग एक कट्टर ब्राह्मण था, जिसने हिंदु धर्म के उत्थान के लिए अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की तथा दो अश्वमेघ यज्ञों का आयोजन किया।