100° सेण्टीग्रेट पर कोई पानी वाष्प में बदल जाता है चूंकि बर्फ से पानी बनने की गुप्त ऊष्मा 80 कैलोरी/ग्राम होती है तथा पानी से वाष्प बनने की गुप्त ऊषमा 540 कैलोरी/ ग्राम। अर्थात् वाष्प में उबलते इए पानी की अपेक्षा उसी ताप पर 53.6 कैलोरी। ग्राम ऊष्मा अधिक होती है इसलिए वाष्प/भाप से जलन अधिक कष्टदायी होती है। तथा दूसरा कारण यह बताया जाता है कि चूंकि वाष्प की ऐंट्रॉपी (रेन्डमनेस) पानी से ज्यादा होती है इस कारण वह शरीर का ज्यादा हिस्सा गर्म करती है इसलिए ज्यादा जलन महसूस होती है। उपयुक्त इन्हीं सब कारणों के संशलिष्ट विश्लेषण द्वारा यह कहा जा सकता है कि 100° सेण्टीग्रेट तापमान पर वाष्प द्वारा उत्पन्न जलन (5 गुना ज्यादा ) उसी ताप के पानी द्वारा उत्पन्न जलन से अधिक होती है।