हड़प्पा सभ्यता को मोहनजोदड़ो या सिंधु घाटी सभ्यता अथवा सिंधु- सरस्वती सभ्यता भी कहा जाता है। यह एक आद्यऐतिहासिक (proto-historic) संस्कृति है, जिसे कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है। सबसे पहले हड़प्पा में ही इसकी खुदाई हुई (1921 ई.), इसलिए सर्वमान्य नाम 'हड़्पा सभ्यता' ही है। इस सभ्यता का काल रेडियो कार्बन डेटिंग (C−14) प्रणाली से 2300−1750 ई. पू. माना जाता है, हड़प्पा सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता ये है कि यह नगरीय सभ्यता है। हड़प्पाकालीन स्थलों से सोना, (बनवाली, लोथल आदि ), चाँदी ( कुणाल हरियाणा) तथा ताँबा (बनवाली) एवं अन्य धातुएँ जैसे - टिन तथा कांसा और मनके (मणिरत्न, लाजवर्द, शंख आदि ) प्राप्त हुए हैं। यहाँ इन धातुओं का उत्पादन भी होंता था और दूसरी सभ्यताओं ( मेसोपोटामियां आदि ) से आयात भी किये जाते थे। परन्तु लोहे के साक्ष्य यहाँ नहीं मिले हैं। अब तक ज्ञात स्रोतों से पता चला है, कि भारत में सबसे पहले लोहे का उपयोग 600 ई. में 'मगध' साम्राज्य में हुआ।