'नाचा' छत्तीसगढ़ का प्रमुख लोकनाट्य हैं , बस्तर के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के अधिकांश भागों में नाचा का प्रचलन है। नाचा का उद्भव गम्मत से माना जाता है जो मराठा सैनिकों के मनोरंजन का साधन था। गम्मत में स्त्रियों का अभिनय करने वाला नाच्या कहलाता है, इसी से इस छत्तीसगढ़ी नाट्य रूप का नाम नाचा पड़ा। नाचा अपने आप में एक सम्पूर्ण नाट्य विद्या है, प्रहसन एवं व्यंग्य इसके मुख्य स्वर है। नाचा में केवल पुरुष कलाकार ही अभिनय करते हैं, यद्घपि कुछ नाट्य मंडलियों में देवार जाति की महिलाओं की भागीदारी भी होती है। नाचा में परी व जोक्कड़ स्थायी मुख्य पात्र होते हैं। नाचा के प्रवर्तक दाउ मंदराजी उर्फ दुलार सिह मंदराजी माने जाते हैं तथा नाचा के ख्यातिलब्ध कलाकार पद्म श्री गोविंदराम निर्मलकर का 27 जुलाई, 2014 को देहांत हो गया है।