भारत में प्रिटिंग प्रेस की शुरुआत पुर्तगालियों ने की। गोवा के पादरियों ने 1557 ई. में पहली पुस्तक भारत में छापी। यद्यपि आधुनिक भारतीय प्रेस का आरंभ 1776 ई. में विलियम बोल्ट्स द्वारा एक समाचार पत्र के प्रकाशन से हुआ, परंतु यह प्रकाशन अल्पकालीन रहा। इसके पश्चात् 1780 ई. में जेम्स ऑगस्टन हिक्की ने अंग्रेजों का प्रथम समाचार पत्र, 'द बंगाल गजट ( साप्ताहिक )' के नाम से निकाला। राजा राममोहन राय को 'राष्ट्रीय प्रेस' की स्थापना का श्रेय जाता है, जबकि क्रिस्टोफर दास को ' भारतीय पत्रकारिता का राजकुमार' कहा जाता है। इन सभी तथ्यों के पश्चात् भारत के दूसरे गवर्नर जनरल चाल्स मेटकॉफ (1835−36) ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में प्रेस पर से या समाचार पत्रों पर से सभी प्रतिबंध हटा लिए। इसी कारण इन्हें ' भारतीय समाचार- पत्रों ( प्रेस ) का मुक्तिदाता' कहा जाता है। लॉर्ड कलाइव (1757-60 और 1765-67) प्लासी की विजय के बाद क्लाइव को बंगाल का प्रथम गवर्नर बनाया गया। बक्सर की विजय (1764) के बाद इन्हें पुन: गवर्नर बनाकर बंगाल भेजा गया। 'इन्हें स्वर्ग से उत्पन्न सेनानायक' कहा गया है। वारेन हेस्टिंग्स (1774-85 ई.) रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत इन्हें बंगाल का प्रथम ( अधिकारिक) गवर्नर जनरल बनाया गया तथा लॉर्ड विलियम बेंटिंक (1828-35)-बंगाल का अंतिम गवर्नर जनरल तथा भारत का प्रथम गवर्नर जनरल ( 1833 के चार्टर एक्ट के तहत) था। इन्होंने भारत में सती प्रथा ( 1829 ) तथा ठगी प्रथा (1830) का अंत किया। इन्ही के समय विधि आयोग के सदस्य के रूप में आये 'मैकाले' ने कहा, कि बेंटिंक ने प्राच्च निरंकुशता में ब्रिटिश स्वतंत्रता की भावना भर दी है।