छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में बड़ी संख्या में शैलाश्रय मिलने के कारण रायगढ़ को शैलाश्रयों या शैल चित्रों का गढ़ भी कहा जाता है। यहाँ सिंघनपुर, कबरापहाड़, बसनाझर, करमागढ़, खैरपुर, बोतल्दा, सूतीघाट, गातादीह, सिरौली- डोगरी, ओंगना तथा छोटे पंडरमुड़ा आदि जगहों से शैल चित्र मिले हैं। रायगढ़ में प्राचीनतम शैलाश्रय है। छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम चित्रित शैलाश्रयों की खोज सन् 1910 के दशक में एडंरसन द्वारा की गई थी। यहाँ के चित्र धुंधले, सीढ़ीनुमा पुरुषाकृति, मत्स्य-कन्या (मरमेड), पशु आकृतियाँ, शिकार दृश्य आदि प्राप्त हुए हैं। भारत में केवल सिंघनपुर में प्रागैतिहासिक मानव (एवमेन ) व मत्स्य- कन्या (मरमेड) का चित्र मिला है।