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निर्देश (प्र. सं. 97 से 105 ): गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
पर्यावरण के प्रति गहरी संवेदनशीलता प्राचीनकाल से ही मिलती है। अथर्ववेद में लिखा है-भूमि माता है, हम पृथ्वी की संतान हैं। एक स्थान पर यह भी लिखा है कि हे पवित्र करने वाली भूमि, हम कोई ऐसा काम न करें जिससे तेरे हृदय को आघात पहुँचे। हृदय को आघात पहुँचाने का यहाँ अर्थ है पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ क्रूर छेड़छाड़। हमें प्राकृतिक संसाधनों के अप्राकृतिक और असीमित दोहन से बचना होगा। आज आवश्यकता इस बात की है कि विश्व के तमाम राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरे को लेकर आपसी मतभेद भुला दें और अपनी-अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाएँ, ताकि समय रहते सर्वनाश से उबरा जा सके। विश्वविनाश से निपटने के लिए सामूहिक एवं व्यक्तिगत प्रयासों की जरूरत है। इस दिशा में आन्दोलन हो रहे हैं। अरण्य-रोदन के बदले अरण्य-संरक्षण की बात हो रही है, सचमुच हमें आत्मरक्षा के लिए पृथ्वी की रक्षा करनी होगी। भूमि माता है और हम उसकी संतान-इस कथन को चरितार्थ करना होगा।
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