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Question Numbers: 129-135
निर्देश- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सब से उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
कहना जितना सरल है, करना उतना ही कठिन है। इसलिए कर्त्तव्य-वीरों को कठिनाइयों को पार करने के लिए सदैव कटिबद्ध रहना पड़ता है। उनका जीवन उनके कर्त्तव्य में खो जाता है। उनका सुख, उनका आनन्द, सब कुछ कर्त्तव्य के अर्पण हो जाते हैं और कर्त्तव्य करके उन्हें एक अलौकिक आनन्द का अनुभव होता है, इहलोक के आनंदों से कहीं बढ़कर है। अपने चारों ओर कर्त्तव्य की मूर्तियाँ मुस्कुराती हुई खड़ी हैं। सूर्य, चंद्रमा, तार, नक्षत्र, पृथ्वी, पवन, जल अनल सब अपने अपने काम में लीन हैं, मानो इन्हें अपने तन की सुध ही नहीं। क्या मज़ाल इनके कर्त्तव्य में तनिक भी ढील हो जाए या थोड़ी सी देर में वे थक कर बैठ जाएँ। कर्त्तव्य के कारण फूल खिलता, अपनी गंध छोड़ता और मुरझा जाता है। चाहे वह पवन में हो या निर्जन वन में, चाहे उसे कोई देखे, या ना देखे, वह अपने कर्त्तव्य में मग्न है।
कर्त्तव्य की कठोरता भी बड़ी विलक्षण है, साधारण दृष्टि में तो उसका प्रदर्शन अनौचित्य की सीमा तक पहुँच जाता है। अग्नि का धर्म है जलना। इस काम में त्रुटि ना करना ही उसका कर्त्तव्य है। फिर यदि गोद का बालक भी भूल से उसके पास पहुँचता है, उसे लेने के लिए हाथ बढ़ाता है तो अग्नि उसे तुरंत जला देती है। प्रकृति के नियमों में इतनी अटलता न हो तो उसका व्यापार ही बन्द हो जाए।
निर्देश- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सब से उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
कहना जितना सरल है, करना उतना ही कठिन है। इसलिए कर्त्तव्य-वीरों को कठिनाइयों को पार करने के लिए सदैव कटिबद्ध रहना पड़ता है। उनका जीवन उनके कर्त्तव्य में खो जाता है। उनका सुख, उनका आनन्द, सब कुछ कर्त्तव्य के अर्पण हो जाते हैं और कर्त्तव्य करके उन्हें एक अलौकिक आनन्द का अनुभव होता है, इहलोक के आनंदों से कहीं बढ़कर है। अपने चारों ओर कर्त्तव्य की मूर्तियाँ मुस्कुराती हुई खड़ी हैं। सूर्य, चंद्रमा, तार, नक्षत्र, पृथ्वी, पवन, जल अनल सब अपने अपने काम में लीन हैं, मानो इन्हें अपने तन की सुध ही नहीं। क्या मज़ाल इनके कर्त्तव्य में तनिक भी ढील हो जाए या थोड़ी सी देर में वे थक कर बैठ जाएँ। कर्त्तव्य के कारण फूल खिलता, अपनी गंध छोड़ता और मुरझा जाता है। चाहे वह पवन में हो या निर्जन वन में, चाहे उसे कोई देखे, या ना देखे, वह अपने कर्त्तव्य में मग्न है।
कर्त्तव्य की कठोरता भी बड़ी विलक्षण है, साधारण दृष्टि में तो उसका प्रदर्शन अनौचित्य की सीमा तक पहुँच जाता है। अग्नि का धर्म है जलना। इस काम में त्रुटि ना करना ही उसका कर्त्तव्य है। फिर यदि गोद का बालक भी भूल से उसके पास पहुँचता है, उसे लेने के लिए हाथ बढ़ाता है तो अग्नि उसे तुरंत जला देती है। प्रकृति के नियमों में इतनी अटलता न हो तो उसका व्यापार ही बन्द हो जाए।
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Question : 130
Total: 150
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