CTET Class I to V 1 Jan 2021 Paper

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PART III | भाषा I [हिन्दी]
निर्देश (प्र.सं. 91-99) नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा जो व्यवहार होता है, उसी के अनुसार फल भी मिलता है। जो समाज और संवेदना की नीतिमूलक स्थापनाओं को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाता है, वही शान्ति पाने का हकदार होता है। महावीर, बुद्ध, क्राइस्ट, नानक, गाँधी अगर हमारे जीवन पर विराजमान हैं, तो इसमें उनकी सादृश्यता, निरहंकार और व्यवहार का योगदान है। वे जिए समस्त प्राणियों, प्रकृति और सृष्टि के लिए। उनके मन में किसी के लिए रत्ती भर भी भेद-भाव नहीं रहा।
अहंकार को विवेक से ही हटाया जा सकता है। गाँधीजी ने गुलामी से आजादी, मनुष्यता की सेवा और विवेक से मित्रता को अपना लक्ष्य बनाया। सबके प्रति समान दृष्टि का ही भाव और व्यवहार था कि गाँधी विश्व नेता बने। गीता में कहा गया है कि जो समस्त प्राणियों के हित में सदा संलग्न रहता है, सबका मित्र होता है। महावीर सत्य की साक्षात अनुभूति में मैत्री की अनिवार्यता की घोषणा करते हैं। यह अनुभूत सत्य है कि जो अपना मित्र होगा, वह हर किसी का मित्र होगा। आप भी इसे आजमा कर देखें। महसूस होने लगेगा कि जिस शान्ति के लिए भटक रहे हैं, वह कहीं बाहर नहीं आपके अन्दर ही है।
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