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Question Numbers: 68-73
निम्न काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए:
मैं नहीं चाहता चिर सुख
चाहता नहीं अविरल दुख,
सुख-दुख की आँख-मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख।
सुख – दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन,
फिर घन से ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन।
जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित है अति सुख से,
मानव जग में बंट जांवें
दुख-सुख से औ सुख – दुख से।
अविरत दुख है उत्पीड़न,
अवितर सुख भी उत्पीड़न
सुख – दुख की निश – दिवा में
सोता जगता जग – जीवन ।
निम्न काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए:
मैं नहीं चाहता चिर सुख
चाहता नहीं अविरल दुख,
सुख-दुख की आँख-मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख।
सुख – दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन,
फिर घन से ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन।
जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित है अति सुख से,
मानव जग में बंट जांवें
दुख-सुख से औ सुख – दुख से।
अविरत दुख है उत्पीड़न,
अवितर सुख भी उत्पीड़न
सुख – दुख की निश – दिवा में
सोता जगता जग – जीवन ।
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