बारहवीं शताब्दी में कर्नाटक में बसवण्णा(1106-68) नाम के ब्राह्मण के नेतृत्व में एक नए आंदोलन का उदय हुआ, जो शुरू में जैनी था और चालुक्य राजा के दरबार में मंत्री था।
उनके अनुयायियों को वीरशैव (शिव के नायक) या लिंगायत के नाम से जाना जाता था।
इस आन्दोलन का केंद्र समाज में जाति-आधारित और लिंग-आधारित असमानता का विनाश करना था।