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Question Numbers: 24-26
अनुच्छेद पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए :-
"आवश्यकता इस बात की है कि हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा हो, जिसमें राष्ट्र के हृदय-मन-प्राण के सूक्ष्मतम और गम्भीरतम संवेदन मुखरित हों और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका पाठ्यक्रम आधारित न होकर हमारी अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करे। भारतीय भाषाओं, भारतीय इतिहास, भारतीय दर्शन, भारतीय धर्म और भारतीय समाजशास्त्र को हम सर्वोपरि स्थान दें। उन्हें अपने शिक्षाक्रम में गौण स्थान देकर या शिक्षित जन को उनसे वंचित रखकर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान रिक्ति को जन्म दिया है, जो नयी पीढी को भीतर से खोखला रहा है। हम राष्ट्रीय परम्परा से ही नहीं, सामयिक जीवन प्रवाह से भी दूर जा पड़े हैं। विदेशी पश्चिमी चश्मों के भीतर से देखने पर अपने घर के प्राणी भी बे-पहचाने और अजीब से लगने लगे हैं। शिक्षित और सामान्य जनता के बीच खाई बढ़ती गई और विश्व संस्कृति के दावेदार होने का दम्भ करते हुए भी हम घर में वामन ही बने रह गए हैं। इस स्थिति को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है।"
अनुच्छेद पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए :-
"आवश्यकता इस बात की है कि हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा हो, जिसमें राष्ट्र के हृदय-मन-प्राण के सूक्ष्मतम और गम्भीरतम संवेदन मुखरित हों और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका पाठ्यक्रम आधारित न होकर हमारी अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करे। भारतीय भाषाओं, भारतीय इतिहास, भारतीय दर्शन, भारतीय धर्म और भारतीय समाजशास्त्र को हम सर्वोपरि स्थान दें। उन्हें अपने शिक्षाक्रम में गौण स्थान देकर या शिक्षित जन को उनसे वंचित रखकर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान रिक्ति को जन्म दिया है, जो नयी पीढी को भीतर से खोखला रहा है। हम राष्ट्रीय परम्परा से ही नहीं, सामयिक जीवन प्रवाह से भी दूर जा पड़े हैं। विदेशी पश्चिमी चश्मों के भीतर से देखने पर अपने घर के प्राणी भी बे-पहचाने और अजीब से लगने लगे हैं। शिक्षित और सामान्य जनता के बीच खाई बढ़ती गई और विश्व संस्कृति के दावेदार होने का दम्भ करते हुए भी हम घर में वामन ही बने रह गए हैं। इस स्थिति को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है।"
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Question : 25
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