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Question Numbers: 12-14
अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :
कवि सृष्टि में सौंदर्य का मर्मज्ञ है। वह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सृष्टि का सौंदर्य देखा जा सकता है। कवि सौंदर्य का उपभोग करता है और जब उन्मुक्त हो जाता है तब उसके प्रलाप रूप में उसकी उन्मत्तता का कुछ प्रसाद सहृदयों को मिल जाता है। कवि का यह प्रलाप ही काव्य कहलाता है। काव्य का सौंदर्य भाव और अभिव्यक्ति को लेकर होता है और वह सौंदर्य कवि की सर्जनात्मक शक्ति के ऊपर भी निर्भर करता है। भाव- वैशिष्ट्य से जो सौंदर्य उत्पन्न होता है, वह भावगत सौंदर्य होता है और कवि द्वारा अपनाया गया शब्द अथवा शिल्प जिस सौंदर्य का निर्माण करता है, वह कलागत सौंदर्य कहलाता है। तत्ववेत्ता और कवि में अंतर है। तत्ववेत्ता मस्तिष्क का निवासी है और कवि हृदय का। हृदय त्रिगुणात्मक सृष्टि का केंद्र है। उसी केंद्र में स्थित होकर कवि सृष्टि का निरीक्षण करता है। हृदय मनुष्य मात्र के हैं पर कुछ तो हृदय के मर्म को समझते ही नहीं कुछ समझते तो हैं, पर उनकी वाणी में इतनी शक्ति नहीं होती कि वे उसे प्रकट कर सकें। कवि हृदय की बातें समझता भी है और उसे कह भी सकता है। साधारण जन और कवि में यही अंतर है।
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कवि सृष्टि में सौंदर्य का मर्मज्ञ है। वह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सृष्टि का सौंदर्य देखा जा सकता है। कवि सौंदर्य का उपभोग करता है और जब उन्मुक्त हो जाता है तब उसके प्रलाप रूप में उसकी उन्मत्तता का कुछ प्रसाद सहृदयों को मिल जाता है। कवि का यह प्रलाप ही काव्य कहलाता है। काव्य का सौंदर्य भाव और अभिव्यक्ति को लेकर होता है और वह सौंदर्य कवि की सर्जनात्मक शक्ति के ऊपर भी निर्भर करता है। भाव- वैशिष्ट्य से जो सौंदर्य उत्पन्न होता है, वह भावगत सौंदर्य होता है और कवि द्वारा अपनाया गया शब्द अथवा शिल्प जिस सौंदर्य का निर्माण करता है, वह कलागत सौंदर्य कहलाता है। तत्ववेत्ता और कवि में अंतर है। तत्ववेत्ता मस्तिष्क का निवासी है और कवि हृदय का। हृदय त्रिगुणात्मक सृष्टि का केंद्र है। उसी केंद्र में स्थित होकर कवि सृष्टि का निरीक्षण करता है। हृदय मनुष्य मात्र के हैं पर कुछ तो हृदय के मर्म को समझते ही नहीं कुछ समझते तो हैं, पर उनकी वाणी में इतनी शक्ति नहीं होती कि वे उसे प्रकट कर सकें। कवि हृदय की बातें समझता भी है और उसे कह भी सकता है। साधारण जन और कवि में यही अंतर है।
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