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Question Numbers: 51-52
निर्देश: दिए गए अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छँटिए।
“प्रारम्भ से ही प्रकृति और मनुष्य का अटूट संबंध रहा है। प्रकृति और मनुष्य का संबंध अन्योन्याश्रित ओर परस्पर सह – अस्तित्व पर निर्भर है। प्रकृति ने मानव के लिए जीवनदायक तत्त्वों को उत्पन्न किया। मनुष्य ने वृक्षों के फल, बीज, जड़ें आदि खाकर अपनी भूख मिटाई। पेड़-पौधे हमें केवल भोजन ही प्रदान नहीं करते अपितु जीवनदायिनी वायु, ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। ये वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं। पृथ्वी पर हरियाली के स्त्रोत पेड़-पौधे ही हैं। वर्षा के कारक यही पेड़-पौधे हैं। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन-संपदा का अंधाधुंध दोहन किया है जिसके कारण प्राकृतिक असंतुलन उत्पन्न हो गया है। पर्यावरण में कम ऑक्सीजन तथा प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की घातक बीमारियाँ फैल रही हैं। पेड़-पौधों की कमी के चलते अनावृष्टि सूखा और भूमि – क्षरण की समस्या पैदा हो गई है”।
निर्देश: दिए गए अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छँटिए।
“प्रारम्भ से ही प्रकृति और मनुष्य का अटूट संबंध रहा है। प्रकृति और मनुष्य का संबंध अन्योन्याश्रित ओर परस्पर सह – अस्तित्व पर निर्भर है। प्रकृति ने मानव के लिए जीवनदायक तत्त्वों को उत्पन्न किया। मनुष्य ने वृक्षों के फल, बीज, जड़ें आदि खाकर अपनी भूख मिटाई। पेड़-पौधे हमें केवल भोजन ही प्रदान नहीं करते अपितु जीवनदायिनी वायु, ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। ये वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं। पृथ्वी पर हरियाली के स्त्रोत पेड़-पौधे ही हैं। वर्षा के कारक यही पेड़-पौधे हैं। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन-संपदा का अंधाधुंध दोहन किया है जिसके कारण प्राकृतिक असंतुलन उत्पन्न हो गया है। पर्यावरण में कम ऑक्सीजन तथा प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की घातक बीमारियाँ फैल रही हैं। पेड़-पौधों की कमी के चलते अनावृष्टि सूखा और भूमि – क्षरण की समस्या पैदा हो गई है”।
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