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Question Numbers: 66-70
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
"प्रारम्भ से ही प्रकृति और मनुष्य का अटूट सम्बन्ध रहा है । प्रकृति और मनुष्य का सम्बन्ध अन्योन्याश्रित और परस्पर सह-अस्तित्व पर निर्भर है। प्रकृति ने मानव के लिए जीवनदायक तत्वों को उत्पन्न किया है। मनुष्य ने वृक्षों के फल, बीज, जड़े आदि खाकर अपनी भूख मिटाई। पेड़-पौधे हमें भोजन ही प्रदान नहीं करते अपितु जीवनदायिनी वायु ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। ये वातावरण से कार्बन डाईआक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन को बाहर निकलते हैं। पृथ्वी पर हरियाली के स्रोत पेड़-पौधे ही हैं। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन-सम्पदा का अंधाधुंध दोहन किया है जिसके कारण प्राकृतिक असन्तुलन उत्पन्न हो गया है। पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाईआक्साइड की बढ़ोत्तरी तथा प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की घातक बीमारियाँ फैल रही हैं। पेड़-पौधों की कमी के चलते अनावृष्टि, सूखा और भूमि क्षरण की समस्या पैदा हो गयी है।"
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
"प्रारम्भ से ही प्रकृति और मनुष्य का अटूट सम्बन्ध रहा है । प्रकृति और मनुष्य का सम्बन्ध अन्योन्याश्रित और परस्पर सह-अस्तित्व पर निर्भर है। प्रकृति ने मानव के लिए जीवनदायक तत्वों को उत्पन्न किया है। मनुष्य ने वृक्षों के फल, बीज, जड़े आदि खाकर अपनी भूख मिटाई। पेड़-पौधे हमें भोजन ही प्रदान नहीं करते अपितु जीवनदायिनी वायु ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। ये वातावरण से कार्बन डाईआक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन को बाहर निकलते हैं। पृथ्वी पर हरियाली के स्रोत पेड़-पौधे ही हैं। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन-सम्पदा का अंधाधुंध दोहन किया है जिसके कारण प्राकृतिक असन्तुलन उत्पन्न हो गया है। पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाईआक्साइड की बढ़ोत्तरी तथा प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की घातक बीमारियाँ फैल रही हैं। पेड़-पौधों की कमी के चलते अनावृष्टि, सूखा और भूमि क्षरण की समस्या पैदा हो गयी है।"
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