‘भारत दुर्दशा’ नाटक की रचना 1880 में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा की गई थी।
इसमें भारतेन्दु ने प्रतीकों के माध्यम से भारत की तत्कालीन स्थिति का चित्रण किया है। वे भारतवासियों से भारत की दुर्दशा पर रोने और फिर इस दुर्दशा का अंत करने का प्रयास करने का आह्वान करते हैं।
वे ब्रिटिश राज और आपसी कलह को भारत दुर्दशा का मुख्य कारण मानते हैं।
अन्य विकल्प:
मैथिलीशरण गुप्त के नाटक - रंग में भंग , राजा-प्रजा, वन वैभव, विकट भट , विरहिणी , वैतालिक, शक्ति, सैरन्ध्री, स्वदेश संगीत, हिड़िम्बा , हिन्दू, चंद्रहास आदि।
नागार्जुन के उपन्यास- बलचनमा, रतिनाथ की चाहिए, उग्रतारा, कुंभीपाक, दुखमोचन वरुण के बेटे, बाबा बटेसरनाथ आदि।
त्रिलोचन के कविता संग्रह- धरती, गुलाब और बुलबुल, अरधान, जीने की कला, चैती आदि।