अशोक के शिलालेख को सर्वप्रथम 1837 ई. में जेम्स प्रिन्सेप नामक अंग्रेज ने पढ़ा था। अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि एवं प्राकृत भाषा में है। केवल उत्तर पश्चिम भारत के कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है। लघमान और शरेकुना से प्राप्त अभिलेख यूनानी तथा आरमेइक लिपियों में हैं। ये अभिलेख प्राचीन भारत के अध्ययन हेतु प्रथम लिखित सामग्री के रूप में सर्वाधिक प्रमाणिक है।