पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने और संवैधानिकता प्रदान करनें के लिए जनवरी, 1957 में भारत सरकार द्वारा सामुदायिक, विकास कार्यक्रम (1952) तथा राष्ट्रीय विस्तार सेवा (1953) के कार्यकरण के परीक्षण व उसके बेहतर प्रदर्शनार्थ अपेक्षित कदम उठाने हेतु एक समिति का गठन किया गया था जो बलवंत राय मेहता समिति कहलाती है। समिति ने नवम्बर 1957 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की स्थापना संबंधी योजना का सुझाव दिया गया था जो अततः पंचायती राज के रूप में विदित हुआ। इस समिति का मुख्य सुझाव भारत में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली की स्थापना, जिसमें जिला स्तर पर जिला परिषद्, प्रखण्ड स्तर पर पंचायत समिति तथा ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत की स्थापना शामिल थी।