भारतीय रिजर्व बैंक के पास विभिन्न व्यावसायिक बैंकों की कुल जमा एवं आरक्षित राशि का निर्धारित भाग नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio) कहलाता है। RBI अधिनियम की धारा 42(1) के तहत किए गए प्रावधान के अंतर्गत अनुसूचित बैंकों को अपने पास जमा धनराशि का एक निश्चत भाग, जो रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित होता है, उसके पास नगद रूप से जमा रखना अनिवार्य किया गया है जिसे CRR कहते हैं। इस अनुपात में वृद्धि करने का परिणाम यह होता है कि बैंकों को अपेक्षाकृत अधिक राशि रिजर्व बैंक के पास आरक्षित रखनी होती है जिससे उनके पास तरलता में कमी हो जाती है, जिसके चलते उनकी ऋण प्रदान करने की क्षमता कम हो जाती है। इस कदम द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है।