भारत में पंचवर्षीय योजना का मॉडल सोवियत संघ ( रूस ) से लिया गया है। इसी के तहत भारत की पहली पंचवर्षीय योजना खाद्यान्न आपूर्ति को पूरा करने के लिए, कृषि के विकास को बढ़ाने के लिए हैरॉड-डॉमर मॉडल पर आधारित, 1951−56 ई. की अवधि के लिए अपनाई गयी। भारत की वास्तविक पंचवर्षीय योजना 1956 में अपनाई गई। यह कहने को तो दूसरी पंचवर्षीय योजना थी परन्तु इसे 'भारत का आर्थिक संविधान' कहा जाता है। इस योजना का मॉडल भारतीय सांख्यिकीय संगठन कोलकाता के निदेशक प्रो.पी.सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित था। इस योजना में तीव्र औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया गया। तथा आधारभूत भारी उद्योगों को सरकारी नियंत्रण में फलीभूत होने का फैसला लिया गया। इस योजना की अवधि