भारत ने 1991 में 5वीं औद्योगिक नीति (1991) अपनाई। इस नीति में आर्थिक सुधारों के अंतर्गत वृहत् पैमानें पर आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण (L.PG) की नीति अपनाई गयी। इस नीति में निजी क्षेत्र के अंतर्गत 18 प्रमुख उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी उद्योगों को अनिवार्य लाइसेंसिग से मुक्त कर दिया गया। 2002 तक और उद्योगों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया। वर्तमान में सिर्फ 6 उद्योगों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता है। ये उद्योग हैं-ऐल्हकोहॉल मुक्त पेयों का आसवन एवं इनमें शराब, तम्बाकू उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस, रक्षा उपकरण, सभी प्रकार के औद्योगिक विस्फोटक सामग्री व औषधियाँ (फार्मास्यूटीकल्स नीति के अनुसार) तथा खतरनाक उद्योग। FERA (1973) को FEMA ( 2000 ) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया तथा लघु क्षेत्रों के लिए निवेश सीमा बढ़ाई गई। सार्वजनिक क्षेत्र के लिए पूर्व में आरक्षित उद्योगों के लिए अनारक्षण नीति की शुरुआत की गई। 1991 में 8 उद्योगों को छोड़कर, शेष सभी से आरक्षण हटा लिया गया। धीरे-धीरे 5 अन्य उद्योगों से भी आरक्षण हटा लिया गया। वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सिर्फ तीन क्षेत्र आणविक ऊर्जा, आणविक खनिज तथा रेलवे ही आरक्षित उद्योग है। विदेशी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारतीय बाजार पूर्णत: खोल दिया गया जिसके तहत FDI तथा FII निवेश की अनुमति बढ़ाई गई, कई क्षेत्रों में 100%FDI∕FII की अनुमति है। तथा भारत ने 12 नवम्बर, 1997 की यूरोपीय संघ व आस्ट्रेलिया के साथ जेनेवा में एक मह त्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके तहत भारत समस्त उत्पादों के आयात पर से परिमाणात्मक नियंत्रण 6 वर्षों में समाप्त करने पर सहमत हो गया था।