जैन धर्म अत्यन्त प्राचीन (600-500ई. पू.) भारतीय धर्म है जिसके 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर ( जैन ) थे। जैन अनुश्रुतियों के अनुसार प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे। महावीर स्वामी ने जैन धर्म में अपेक्षित सुधार करके इसका व्यापक स्तर पर प्रचार करके शिखर तक पहुँचाया। इसलिए महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक स्वीकार किया जाता है। जैन गृहस्थों के लिए पाँच व्रत प्रतिपादित किये गए। गृहस्थ व्रतों की कठोरता बहुत कम कर दी गई, इसलिए इन्हें अणुव्रत की संज्ञा दी गई। पंच अणुव्रत निम्नानुसार है:- 1. अहिंसा 2. सत्य 3. अस्तेय 4. ब्रह्मचर्य 5. अपरिग्रह प्रथम चार शिक्षाएँ पार्श्वनाथ ने दी थी। जबकि महावीर ने इनमें 'ब्रह्मचार्य' को जोड़कर इसका विस्तार किया।