क्रिप्स मिशन के खाली हाथ वापस जाने पर भारतीयों को छले जाने काएहसास हुआ तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण परिस्थितियाँ अत्यधिक गंभीर होती जा रही थी आदि कई कारणों ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत करने में योगदान दिया। तत्पश्चात् 7 अगस्त, 1942 ई. को बम्बई के ग्वालिया टैंक ( यही 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्थापना हुई थी ) में कांग्रेस की अधिवेशन (अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद) हुआ। नेहरू ने 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव पेश किया, जिसे थोड़े बहुत संशोधनों के बाद 8 अगस्त, 1942 को स्वीकार कर लिया गया और सम्पूर्ण भारत में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो गया। इसी आंदोलन में गाँधीजी ने करो या मरो का नारा दिया तथा कहा कि-' मैं स्वतंत्रता से कम किसी भी वस्तु से संतुष्ट नहीं होऊँगा।' भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति भी कहा जाता है