महर्षि पतंजलि के योग को ही अष्टांग योग या राजयोग कहा जाता है। इस योग के आठों अंगों में सभी प्रकार के योग सम्मिलित है। भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग भी योग के उक्त आठ अंगों का ही भाग है। पतंजलि के योगसूत्र ग्रंथ में लिखित अष्टांग योग बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग के बाद की रचना है। योगसूत्र ग्रंथ के रचनाकार होने की वजह से महर्षि पतंजलि को योग का पिता (संस्थापक-आदियोगी (शिवा)) कहा जाता है। ये आठ योग है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि आदि।