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Comprehension:(Que No. 121 - 128)
निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, जहाँ एक ओर दुनिया भर में लोगों का औसत क़द बढ़ रहा है, वहीं आम भारतीयों का क़द लगातार घट रहा है। विज्ञान पत्रिका ओपन एक्सेस साइंस जर्नल (प्लोस वन) में छपे इस अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई तेज़ी से कम हो रही है। अध्ययन में 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच और 26 से 50 वर्ष के आयु के बीच के पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई और उनकी सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया गया है। इससे सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह सामने आया है कि लंबाई कम होने के पीछे आर्थिक व सामाजिक पृष्ठभूमि की भी बड़ी भूमिका है। देश में सुविधा-संपन्न लोगों का सामाजिक कद हमेशा से ऊँचा रहा है, लेकिन अब यह भेद क़द-काठी में भी झलकने लगा है। जहाँ संपन्न लोगों की औसत लंबाई में कोई ज्यादा कमी नज़र नहीं आती है, वहीं गरीबों की औसत लंबाई लगातार घट रही है।
सबसे ज़्यादा गिरावट ग़रीबों और आदिवासी महिलाओं में देखी गयी है। अध्ययन के मुताबिक, एक पाँच साल की अनुसूचित जनजाति की बच्ची की औसत लंबाई सामान्य वर्ग की बच्ची से लगभग दो सेंटीमीटर कम पायी गई। पुरुषों के मामले में किसी भी वर्ग के लिए स्थिति अच्छी नहीं है। सभी वर्ग के पुरुषों की औसत लंबाई करीब एक सेंटीमीटर कम हुई है।
निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, जहाँ एक ओर दुनिया भर में लोगों का औसत क़द बढ़ रहा है, वहीं आम भारतीयों का क़द लगातार घट रहा है। विज्ञान पत्रिका ओपन एक्सेस साइंस जर्नल (प्लोस वन) में छपे इस अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई तेज़ी से कम हो रही है। अध्ययन में 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच और 26 से 50 वर्ष के आयु के बीच के पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई और उनकी सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया गया है। इससे सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह सामने आया है कि लंबाई कम होने के पीछे आर्थिक व सामाजिक पृष्ठभूमि की भी बड़ी भूमिका है। देश में सुविधा-संपन्न लोगों का सामाजिक कद हमेशा से ऊँचा रहा है, लेकिन अब यह भेद क़द-काठी में भी झलकने लगा है। जहाँ संपन्न लोगों की औसत लंबाई में कोई ज्यादा कमी नज़र नहीं आती है, वहीं गरीबों की औसत लंबाई लगातार घट रही है।
सबसे ज़्यादा गिरावट ग़रीबों और आदिवासी महिलाओं में देखी गयी है। अध्ययन के मुताबिक, एक पाँच साल की अनुसूचित जनजाति की बच्ची की औसत लंबाई सामान्य वर्ग की बच्ची से लगभग दो सेंटीमीटर कम पायी गई। पुरुषों के मामले में किसी भी वर्ग के लिए स्थिति अच्छी नहीं है। सभी वर्ग के पुरुषों की औसत लंबाई करीब एक सेंटीमीटर कम हुई है।
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Question : 121
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