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अब प्रश्न उठता है कि जिन्हें हम भारतीय वाद्ययंत्र कहते हैं क्या वे भारत में ही जन्मे हैं या कहीं और से आए हैं? कहना कठिन है। जब भी हम किसी वाद्ययंत्र को बजते देखते-सुनते हैं तो मन कहता है कि उसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई होगी। लेकिन सत्य यह नहीं है। आज प्रचलित वाद्ययंत्रों में से अनेक बाहर से भी आए हैं और यह भी सच है कि अनेक भारतीय वादयंत्र यहाँ से अन्य देशों में प्रचलित हुए हैं। सभ्यता और संस्कृति का इतिहास जानने का एक माध्यम वाद्ययंत्र भी हैं। वेदों में उल्लिखित वाद्ययंत्रों के प्रमाण हड़प्पा सभ्यता में प्राप्त हुए हैं। वहीं सुदूर पूर्व इंडोनेशिया में प्राचीन भारतीय वाद्यंत्र आज भी प्रयुक्त हो रहे हैं। हमारी वीणा मिस्री, सुमेरी, जापानी, चीनी संस्कृति में भी विद्यमान रही है।
निर्देश (प्र. सं. 91 से 99): नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के सही/सबसे उप्युक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
कभी सोचा है भारत में कितने प्रकार के वाद्ययंत्र प्रचलित हैं? सोचने में शीघ्रता मत कीजिए। तमिलनाडु-केरल से कश्मीर तक, राजस्थान-गुजरात से नागालैंड-मणिपुर तक इस भारत नामक विशाल भूखंड में सैंकड़ों प्रकार के वाद्ययंत्र परंपरा से प्रचलित रहे हैं। विशेषकर चमड़े से मढ़े वादयंत्र तो सर्वाधिक हैं। बाँसुरी जैसे फूँककर बजाए जाने वाले, झाँझ जैसे झंकार वाले या फिर तार लगी तूँबी वाले भी कम नहीं। ये तार वाले भी कुछ गज से बजाए जाते हैं और कुछ छोटी-सी अँगूठी-जैसे मिजराब से। अब प्रश्न उठता है कि जिन्हें हम भारतीय वाद्ययंत्र कहते हैं क्या वे भारत में ही जन्मे हैं या कहीं और से आए हैं? कहना कठिन है। जब भी हम किसी वाद्ययंत्र को बजते देखते-सुनते हैं तो मन कहता है कि उसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई होगी। लेकिन सत्य यह नहीं है। आज प्रचलित वाद्ययंत्रों में से अनेक बाहर से भी आए हैं और यह भी सच है कि अनेक भारतीय वादयंत्र यहाँ से अन्य देशों में प्रचलित हुए हैं। सभ्यता और संस्कृति का इतिहास जानने का एक माध्यम वाद्ययंत्र भी हैं। वेदों में उल्लिखित वाद्ययंत्रों के प्रमाण हड़प्पा सभ्यता में प्राप्त हुए हैं। वहीं सुदूर पूर्व इंडोनेशिया में प्राचीन भारतीय वाद्यंत्र आज भी प्रयुक्त हो रहे हैं। हमारी वीणा मिस्री, सुमेरी, जापानी, चीनी संस्कृति में भी विद्यमान रही है।
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