CTET 2 Social and Science 23 Dec 2021 Paper

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Comprehension:(Que No. 121 - 128)
बिदरी कला का किलों और उसकी मिट्टी से गहरा नाता है। हम जरा पीछे लौटें उस समय में जब बड़े-बड़े विशाल जंगी किले बनाए जाते और उनमें एक विशेष जगह एकांत कोने में बारूदखाना होता था I जहाँ बारुद रखा जाता था। बारुद के अंदर जो तत्व होते हैं वे बारुदखाने की कच्ची ज़मीन की मिट्टी में भीतर गहरे तक ज़ज़्ब होते जाते थे I उनमें अमोनिया नाम का खनिज भी होता था। वर्षों एक ही जगह भारी मात्रा में बारुद रहता और उसका असर जमीन के अंदर फैलता जाता और हज़ारों वर्षों तक कायम भी रहता। बिदरी वर्क के लिए इन्हीं किलों की मिट्टी को खोद-खोदकर निकाला जाता है I किसी अन्य प्रकार की मिट्टी से यह काम नहीं हो पाता। बात हैरत की तो ज़रुर है किंतु शत: प्रतिशत खरी भी है। अनेक शोध हुए, प्रयोग किए गए और परिणाम यह रहा कि प्राचीन काल में बारुद बनाने की पद्धति आज की पद्धति से बिलकुल भिन्‍न थी इस कारण अब कोशिश करने पर भी वैसी मिट्टी नहीं बनायी जा सकती क्योंकि किसी बारुदखाने के नीचे रखकर बिदरी वर्क के योग्य मिट्टी बनने में जो वक़्त लगता है वो अब किस तरह संभव हो सकता है? और खोदते-खोदते तो बड़े-बड़े खजाने भी खाली हो जाते हैं। जिस दिन यह मिट्टी बिदरी वर्क के लिए उपयुक्त नहीं रहेगी तब यह कला भी लुप्त हो जाएगी। इसे कोई बचा नहीं पाएगा।
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