CTET 2 Social and Science 23 Dec 2021 Paper

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Comprehension:(Que No. 129 - 135)
महात्मा गाँधी धर्म को सर्वत्र स्थान देते हैं। वे एक पग भी धर्म के बिना चलने के लिए तैयार नहीं परंतु उनकी बात ले उड़ने के पहले, प्रत्येक आदमी का कर्तव्य यह है कि वही भली-भाँति समझ ले कि महात्मा जी के धर्म का स्वरुप क्या है? धर्म से महात्मा जी का मतलब धर्म ऊँचे और उदार तत्वों ही का हुआ करता है I उनके मानने से किसे ऐतराज़ हो सकता है।
अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़ पढने का नाम धर्म नही हैI शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिह्न है। दो घण्टे तक बैठकर पूजा कीजिए और पाँच वक्त की नमाज़ भी अदा कीजिए, परन्तु ईश्वर को इस प्रकार रिश्वत के दे चुकने के पश्चात्‌ यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी' करने और दूसरों को तकलीफ पहुँचाने, के लिए आज़ाद समझते है तो इस धर्म को अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा। अब तो, आपका पूजा पाठ देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी I सबके कल्याण की दृष्टि से आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा I और यदि आप अपने आचरण को नही सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश भर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगीI
ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमियों से तो, वे ला-मजहब और नास्तिक आदमी कहीं अधिक अच्छे और ऊँचे हैं, जिनका आचरण अच्छा है। जो दूसरो के सुख-दुख का ख्याल रखते हैI
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