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Question Numbers: 129-135
निर्देश-नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
हमारी संस्कृति में मानव जीवन के चार उद्देश्य बताए गए हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष। जीवन के इन उद्देश्यों को स्वस्थ शरीर द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है जब व्यक्ति स्वयं सुखी एवं संतुष्ट होता है, तो दूसरों को भी सुखी बनाने का प्रयास करता है तथा समाज एवं राष्ट्र के लिए कुछ कर पाने में समर्थ होता। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य को महा वरदान कहा गया है। जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य की उपेक्षा कर देता है, वह मानो अपने सभी सुखों की उपेक्षा कर रहा है। दुर्बल, रोगी तथा अशक्त मनुष्य न तो स्वयं को न अपने परिवार की, न अपने राष्ट्र की और न ही मानवता की सेवा कर सकता है। इसलिए शरीर को पुष्ट, चुस्त एवं बलिष्ठ बनाना आवश्यक है। अस्वस्थ व्यक्ति घर बैठे दुर्बलता और असमर्थता पर नौ-नौ आँसू बहाया करते हैं। जबकि स्वस्थ व्यक्ति असंभव को भी संभव में बदलने की क्षमता रखते हैं। इसलिए प्रायः देखा गया है कि दुर्बल और अशक्त व्यक्ति निराशावादी और भाग्यवादी बन जाया करते हैं।
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हमारी संस्कृति में मानव जीवन के चार उद्देश्य बताए गए हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष। जीवन के इन उद्देश्यों को स्वस्थ शरीर द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है जब व्यक्ति स्वयं सुखी एवं संतुष्ट होता है, तो दूसरों को भी सुखी बनाने का प्रयास करता है तथा समाज एवं राष्ट्र के लिए कुछ कर पाने में समर्थ होता। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य को महा वरदान कहा गया है। जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य की उपेक्षा कर देता है, वह मानो अपने सभी सुखों की उपेक्षा कर रहा है। दुर्बल, रोगी तथा अशक्त मनुष्य न तो स्वयं को न अपने परिवार की, न अपने राष्ट्र की और न ही मानवता की सेवा कर सकता है। इसलिए शरीर को पुष्ट, चुस्त एवं बलिष्ठ बनाना आवश्यक है। अस्वस्थ व्यक्ति घर बैठे दुर्बलता और असमर्थता पर नौ-नौ आँसू बहाया करते हैं। जबकि स्वस्थ व्यक्ति असंभव को भी संभव में बदलने की क्षमता रखते हैं। इसलिए प्रायः देखा गया है कि दुर्बल और अशक्त व्यक्ति निराशावादी और भाग्यवादी बन जाया करते हैं।
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Question : 131
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