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Question Numbers: 121-128
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
नीम का पेड़ बहुगुणी होने से वैद्यों की दृष्टि से कल्पतरु ही है। प्राचीन आर्य ऋषि मुनियों ने इसके अलौकिक गुणों का पता लगाया तथा इसे अति उच्च स्थान प्रदान किया। नीम के सेवन से कई तरह की व्याधियों से मुक्ति मिलती है। केवल इसके पत्ते खाकर स्वस्थ जीवन व्यतीत करने वाले ओजस्वी एवं प्रसन्न चित्त विरक्त महानुभाव दुनिया में मौजूद हैं। यह पेड़ घनी और शीतल छाया प्रदान करता है। इसमें सफेद फूल खिलते हैं। वृक्ष बहुत पुराना हो जाने पर इससे शुद्ध चंदन-सी खुशबू आने लगती है। इस पेड़ की कटाई होने पर भी उसकी जड़ें अपने आप ही पनपने लगती हैं और कुछ ही वर्षों में बड़ा-सा वृक्ष पुनः स्थापित हो जाता है। इस मामले में पीपल का पेड़ इसका जिगरी दोस्त होता है। जहाँ पीपल का चबूतरा बना हो, उसके आस-पास नीम का चबूतरा होता ही है।
वृक्षाच्छादित मार्ग के लिए नीम सबसे ज़्यादा उपयुक्त पेड़ होता है। चिलचिलाती धूप में यह पेड़ राहगीरों को घनी-शीतल छाया प्रदान करता है।
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
नीम का पेड़ बहुगुणी होने से वैद्यों की दृष्टि से कल्पतरु ही है। प्राचीन आर्य ऋषि मुनियों ने इसके अलौकिक गुणों का पता लगाया तथा इसे अति उच्च स्थान प्रदान किया। नीम के सेवन से कई तरह की व्याधियों से मुक्ति मिलती है। केवल इसके पत्ते खाकर स्वस्थ जीवन व्यतीत करने वाले ओजस्वी एवं प्रसन्न चित्त विरक्त महानुभाव दुनिया में मौजूद हैं। यह पेड़ घनी और शीतल छाया प्रदान करता है। इसमें सफेद फूल खिलते हैं। वृक्ष बहुत पुराना हो जाने पर इससे शुद्ध चंदन-सी खुशबू आने लगती है। इस पेड़ की कटाई होने पर भी उसकी जड़ें अपने आप ही पनपने लगती हैं और कुछ ही वर्षों में बड़ा-सा वृक्ष पुनः स्थापित हो जाता है। इस मामले में पीपल का पेड़ इसका जिगरी दोस्त होता है। जहाँ पीपल का चबूतरा बना हो, उसके आस-पास नीम का चबूतरा होता ही है।
वृक्षाच्छादित मार्ग के लिए नीम सबसे ज़्यादा उपयुक्त पेड़ होता है। चिलचिलाती धूप में यह पेड़ राहगीरों को घनी-शीतल छाया प्रदान करता है।
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Question : 124
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