Show Para
Question Numbers: 129-135
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
असली शत्रु तो घृणा और क्रोध हैं जिनसे हमें लड़ना है, इन्हें हराना है, इन पर विजय पानी है। यह हैं हमारे असली, पक्के शत्रु बाकी तो बस नकली ही समझो। फर्ज़ी ही मानो उनको। ये तो हमारे जीवन में जीवन के हर मोड़ पर आते-जाते रहेंगे। हर कहीं टकरा जाएंगे। यह भी सच है, स्वभाविक है कि हम सब अच्छे मित्रों की तलाश में रहते हैं, पर यह भी सच है कि प्रायः मित्र तो मिलते नहीं, हाँ शत्रु ज़रूर आ पहुँचते हैं। मैं अक्सर मज़ाक में कहता हूँ कि यदि आप स्वार्थी बनना चाहते हों तो आपको अपने अलावा दूसरों का ध्यान रखना शुरू करना पड़ेगा। परोपकारी बने बिना आपका स्वार्थ पूरा होने से रहा। अपने घर पर ध्यान देना है तो दूसरों पर ध्यान देने लगो। अपनी चिंता करनी है तो दूसरों की चिंता करने लगो। उनकी सेवा करो। उनकी मदद में खड़े रहो। मित्र बनाते चलो। तब यदि आपको कभी कोई ज़रूरत होगी, कोई संकट आप पर आ ही गया तो समझिए आपके चारों ओर मित्र खड़े होंगे I हर तरह की दिक्कत को हल कर देने के लिए। लेकिन यदि आपने दूसरों का ध्यान नहीं रखा तो आप नुकसान में ही होंगे। निस्वार्थ प्यार ही सच्चे मित्र जुटाता है।
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
असली शत्रु तो घृणा और क्रोध हैं जिनसे हमें लड़ना है, इन्हें हराना है, इन पर विजय पानी है। यह हैं हमारे असली, पक्के शत्रु बाकी तो बस नकली ही समझो। फर्ज़ी ही मानो उनको। ये तो हमारे जीवन में जीवन के हर मोड़ पर आते-जाते रहेंगे। हर कहीं टकरा जाएंगे। यह भी सच है, स्वभाविक है कि हम सब अच्छे मित्रों की तलाश में रहते हैं, पर यह भी सच है कि प्रायः मित्र तो मिलते नहीं, हाँ शत्रु ज़रूर आ पहुँचते हैं। मैं अक्सर मज़ाक में कहता हूँ कि यदि आप स्वार्थी बनना चाहते हों तो आपको अपने अलावा दूसरों का ध्यान रखना शुरू करना पड़ेगा। परोपकारी बने बिना आपका स्वार्थ पूरा होने से रहा। अपने घर पर ध्यान देना है तो दूसरों पर ध्यान देने लगो। अपनी चिंता करनी है तो दूसरों की चिंता करने लगो। उनकी सेवा करो। उनकी मदद में खड़े रहो। मित्र बनाते चलो। तब यदि आपको कभी कोई ज़रूरत होगी, कोई संकट आप पर आ ही गया तो समझिए आपके चारों ओर मित्र खड़े होंगे I हर तरह की दिक्कत को हल कर देने के लिए। लेकिन यदि आपने दूसरों का ध्यान नहीं रखा तो आप नुकसान में ही होंगे। निस्वार्थ प्यार ही सच्चे मित्र जुटाता है।
© examsnet.com
Question : 129
Total: 150
Go to Question: