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Question Numbers: 121-128
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए-
प्रकृति का विधान है, दिए बिना कुछ नहीं मिलेगा और देने की प्रवृत्ति हो, तो उपलब्धियाँ और सफलताएँ कदम चूमेंगी। उपलब्धियाँ और सम्मान व्यक्ति को विशिष्ट पहचान दिलाते हैं जो उसके सुचारू जीवन के लिए अपरिहार्य हैं। एक स्वतंत्र अस्मिता बतौर व्यक्ति तभी उभरेगा जब उसने दूसरों की बेहतरी की ठान रखी हो यानी उसमें देने का भाव मुखर हो।
उपलब्धि के प्रकरण में 'देने' का स्थान 'लेने' से उच्चतर और गरिमापूर्ण है। लेकिन स्मरण रहे, शुरुआत देने से होगी और पहल आपको करनी है। देने का परिक्षेत्र धन या भौतिक वस्तुएँ प्रदान करने से कहीं परे हैं। रोग, शोक या दुष्कर परिस्थिति से त्रस्त व्यक्ति की व्यथा धैर्य से सुनने मात्र से आप उसे राहत पहुंचाते हैं। भले ही निष्ठागत, व्यवहार, लगनशीलता, उत्कृष्ट और परहितकारी तौर-तरीकों को मान्यता या प्रसिद्धि मिलने में समय लगता है, पर न भूलें, आपकी मंशाओं सोच और कार्यों की पड़ताल का सिलसिला जारी रहता है।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए-
प्रकृति का विधान है, दिए बिना कुछ नहीं मिलेगा और देने की प्रवृत्ति हो, तो उपलब्धियाँ और सफलताएँ कदम चूमेंगी। उपलब्धियाँ और सम्मान व्यक्ति को विशिष्ट पहचान दिलाते हैं जो उसके सुचारू जीवन के लिए अपरिहार्य हैं। एक स्वतंत्र अस्मिता बतौर व्यक्ति तभी उभरेगा जब उसने दूसरों की बेहतरी की ठान रखी हो यानी उसमें देने का भाव मुखर हो।
उपलब्धि के प्रकरण में 'देने' का स्थान 'लेने' से उच्चतर और गरिमापूर्ण है। लेकिन स्मरण रहे, शुरुआत देने से होगी और पहल आपको करनी है। देने का परिक्षेत्र धन या भौतिक वस्तुएँ प्रदान करने से कहीं परे हैं। रोग, शोक या दुष्कर परिस्थिति से त्रस्त व्यक्ति की व्यथा धैर्य से सुनने मात्र से आप उसे राहत पहुंचाते हैं। भले ही निष्ठागत, व्यवहार, लगनशीलता, उत्कृष्ट और परहितकारी तौर-तरीकों को मान्यता या प्रसिद्धि मिलने में समय लगता है, पर न भूलें, आपकी मंशाओं सोच और कार्यों की पड़ताल का सिलसिला जारी रहता है।
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Question : 128
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