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Question Numbers: 129-135
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
वास्तव में मानव और पशु जीवन में एक स्पष्ट विभाजक रेखा का अंकन बुद्धि और भाव तत्त्व ही करते हैं। मानव की सुरुचियाँ भी उसे पाश्व-स्थितियों से अलग करती हैं। यों सामान्य कलात्मकता के दर्शन हमें पशु-पक्षियों के जीवन में भी होते हैं। चींटियाँ अपने सूक्ष्म बिलों के भीतर जिस प्रकार की किलेबंदी करती हैं, वह उनकी कलात्मकता का ही परिचय है। दीमक जो किसी स्थान पर लगकर उसे भीतर-ही भीतर खोखला कर देती है, उसका अपना भीतरी पर्यावरण अत्यंत कलात्मक होता है और उस कलात्मकता में अपरिहार्य उपयोगी पक्ष का ध्यान रखा जाता है। पक्षियों के घोंसले तो इतने कलात्मक होते हैं कि उन्हें देखकर सभी दंग रह जाते हैं। वास्तव में समूची प्रकृति ही किसी अलक्षित कलाकार की एक अत्यंत सजीव एवं सुघड़ कलाकृति। मुख्य बात यह है कि मानव तो स्वभावतः सौंदर्य एवं कला-प्रेमी है ही, पशु-पक्षी तथा संस्कृति के अन्य रूप भी अनवरत कलात्मकता का परिचय देने वाले हैं। कला जीवन की एक स्वाभाविक, सहजात और अनिवार्य प्रवृत्ति है जो भावनात्मक क्षुधाओं को संतृप्ति प्रदान करती है।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
वास्तव में मानव और पशु जीवन में एक स्पष्ट विभाजक रेखा का अंकन बुद्धि और भाव तत्त्व ही करते हैं। मानव की सुरुचियाँ भी उसे पाश्व-स्थितियों से अलग करती हैं। यों सामान्य कलात्मकता के दर्शन हमें पशु-पक्षियों के जीवन में भी होते हैं। चींटियाँ अपने सूक्ष्म बिलों के भीतर जिस प्रकार की किलेबंदी करती हैं, वह उनकी कलात्मकता का ही परिचय है। दीमक जो किसी स्थान पर लगकर उसे भीतर-ही भीतर खोखला कर देती है, उसका अपना भीतरी पर्यावरण अत्यंत कलात्मक होता है और उस कलात्मकता में अपरिहार्य उपयोगी पक्ष का ध्यान रखा जाता है। पक्षियों के घोंसले तो इतने कलात्मक होते हैं कि उन्हें देखकर सभी दंग रह जाते हैं। वास्तव में समूची प्रकृति ही किसी अलक्षित कलाकार की एक अत्यंत सजीव एवं सुघड़ कलाकृति। मुख्य बात यह है कि मानव तो स्वभावतः सौंदर्य एवं कला-प्रेमी है ही, पशु-पक्षी तथा संस्कृति के अन्य रूप भी अनवरत कलात्मकता का परिचय देने वाले हैं। कला जीवन की एक स्वाभाविक, सहजात और अनिवार्य प्रवृत्ति है जो भावनात्मक क्षुधाओं को संतृप्ति प्रदान करती है।
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