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Question Numbers: 100-105
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न का उपयुक्त विकल्प चुनिए।
वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो
चट्टानों की छाती से दूध निकालो।
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो
पीयूष चन्द्रमाओं को पकड़ निचोड़ो।
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे!
योगियों नहीं, विजयी के सदृश जियो रे!
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए।
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है
मरता है जो, एक ही बार मरता है।
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न का उपयुक्त विकल्प चुनिए।
वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो
चट्टानों की छाती से दूध निकालो।
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो
पीयूष चन्द्रमाओं को पकड़ निचोड़ो।
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे!
योगियों नहीं, विजयी के सदृश जियो रे!
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए।
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है
मरता है जो, एक ही बार मरता है।
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।
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