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निर्देश (प्र.सं. 100-105) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
देशवासियों सुनों देश को नमन करो
देश ही आधार है, प्यार देश से करो।
लड़ रहे हो आज क्यों छोटी-छोटी बात पर,
देश हित को भूलकर प्रान्त, भाषा, जात पर,
मिटा के भेदभाव को, देश को सुदृढ़ करो।
भ्रष्टाचार की लहर उठ रही नगर-नगर,
घोर अंधकार में सूझती नहीं डगर,
ज्योति नीति-धर्म की आज तुम प्रखर करो।
देश आज रो रहा, देश का रुदन सुनो,
बाँट दर्द देश का, मित्र देश के बनो
प्रेम के पीयूष से, द्वेष का शमन करो।
देशवासियों सुनों देश को नमन करो
देश ही आधार है, प्यार देश से करो।
लड़ रहे हो आज क्यों छोटी-छोटी बात पर,
देश हित को भूलकर प्रान्त, भाषा, जात पर,
मिटा के भेदभाव को, देश को सुदृढ़ करो।
भ्रष्टाचार की लहर उठ रही नगर-नगर,
घोर अंधकार में सूझती नहीं डगर,
ज्योति नीति-धर्म की आज तुम प्रखर करो।
देश आज रो रहा, देश का रुदन सुनो,
बाँट दर्द देश का, मित्र देश के बनो
प्रेम के पीयूष से, द्वेष का शमन करो।
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