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निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
विविध धर्म एक ही जगह पहुँचाने वाले अलग-अलग रास्ते हैं। एक ही जगह पहुँचाने के लिए हम अलग अलग रास्तों से चले तो इसमें दुःख का कोई कारण नहीं है। सच पूछो तो जितने मनुष्य हैं उतने धर्म भी है। हमें सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना चाहिए। इसमें अपने अपने धर्मों के प्रति उदासीनता आती हो ऐसी बात नहीं, बल्कि अपने धर्म पर जो प्रेम है उसकी अन्धता मिटती है इस तरह वह प्रेम ज्ञानमय और ज्य़ादा सात्विक तथा निर्मल बनता है। बापु इस विश्वास से सहमत नहीं थे की पृथ्वी पर एक धर्म हो सकता है या होगा। इसलिए वे विविध धर्मों में पाया जाने वाला तत्व खोजने की और इस बात को पैदा करने की कि विविध धर्मावलंबी एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता का भाव रखें, कोशिश कर रहे थे। उनकी सम्मति थी कि संसार के धर्म-ग्रंथों को सहानुभूतिपूर्वक पढ़ना प्रत्येक सभ्य पुरुष और स्त्री का कर्तव्य है अगर हमें दूसरे धर्मों का वैसा आदर करना है जैसा हम उनसे अपने धर्म का कराना चाहते है, तो संसार के सभी धर्मों का आदरपूर्वक अध्ययन करना हमारा एक पवित्र कर्म हो सकता है।
Comprehension:(Que No. 121 - 128)
निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
विविध धर्म एक ही जगह पहुँचाने वाले अलग-अलग रास्ते हैं। एक ही जगह पहुँचाने के लिए हम अलग अलग रास्तों से चले तो इसमें दुःख का कोई कारण नहीं है। सच पूछो तो जितने मनुष्य हैं उतने धर्म भी है। हमें सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना चाहिए। इसमें अपने अपने धर्मों के प्रति उदासीनता आती हो ऐसी बात नहीं, बल्कि अपने धर्म पर जो प्रेम है उसकी अन्धता मिटती है इस तरह वह प्रेम ज्ञानमय और ज्य़ादा सात्विक तथा निर्मल बनता है। बापु इस विश्वास से सहमत नहीं थे की पृथ्वी पर एक धर्म हो सकता है या होगा। इसलिए वे विविध धर्मों में पाया जाने वाला तत्व खोजने की और इस बात को पैदा करने की कि विविध धर्मावलंबी एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता का भाव रखें, कोशिश कर रहे थे। उनकी सम्मति थी कि संसार के धर्म-ग्रंथों को सहानुभूतिपूर्वक पढ़ना प्रत्येक सभ्य पुरुष और स्त्री का कर्तव्य है अगर हमें दूसरे धर्मों का वैसा आदर करना है जैसा हम उनसे अपने धर्म का कराना चाहते है, तो संसार के सभी धर्मों का आदरपूर्वक अध्ययन करना हमारा एक पवित्र कर्म हो सकता है।
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