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शिक्षा केवल तभी बच्चों के आत्मिक जीवन का एक अंश बनती है, जबकि ज्ञान सक्रिय कार्यों के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हो। बच्चों से यह आशा नहीं की जा सकती कि पहाड़े या समकोण चतुर्भुज का क्षेत्रफल निकालने के नियम आप से आप उन्हें आकर्षित करेंगे। जब बच्चा यह देखता है कि ज्ञान सृजन के या श्रम के लक्षों की प्राप्ति का साधन है, तभी वह ज्ञान पाने की इच्छा उनके मन में जागती है। में यह चेष्टा करता था कि छोटी उम्र में ही शारीरिक श्रम में बच्चों को अपनी होशियारी और कुशाग्र बुद्धि का परिचय देने का अवसर मिले। स्कूल का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्यभार है-बच्चों को ज्ञान का प्रयोग करना सिखाना। छोटी कक्षाओं में यह खतरा सबसे ज्यादा होता है कि ज्ञान निर्थक बोझ बनकर रह जाएगा, क्योंकि इस उम्र में बौद्धिक श्रम नई-नई बातें सीखने से ही संबंधित होता है।
निर्देश (प्र.सं. 144 से 150):
नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर सबसे उचित विकल्प का चयन कीजिए- शिक्षा केवल तभी बच्चों के आत्मिक जीवन का एक अंश बनती है, जबकि ज्ञान सक्रिय कार्यों के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हो। बच्चों से यह आशा नहीं की जा सकती कि पहाड़े या समकोण चतुर्भुज का क्षेत्रफल निकालने के नियम आप से आप उन्हें आकर्षित करेंगे। जब बच्चा यह देखता है कि ज्ञान सृजन के या श्रम के लक्षों की प्राप्ति का साधन है, तभी वह ज्ञान पाने की इच्छा उनके मन में जागती है। में यह चेष्टा करता था कि छोटी उम्र में ही शारीरिक श्रम में बच्चों को अपनी होशियारी और कुशाग्र बुद्धि का परिचय देने का अवसर मिले। स्कूल का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्यभार है-बच्चों को ज्ञान का प्रयोग करना सिखाना। छोटी कक्षाओं में यह खतरा सबसे ज्यादा होता है कि ज्ञान निर्थक बोझ बनकर रह जाएगा, क्योंकि इस उम्र में बौद्धिक श्रम नई-नई बातें सीखने से ही संबंधित होता है।
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