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Question Numbers: 61-65
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हाथी से हाथी जूझ पड़े, भिड़ गये सवार सवारों से।
घोड़े पर घोड़े टूट पड़े, तलवार लड़ी तलवारों से।
हय रुण्ड गिरे, गज मुण्ड गिरे, कट कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
लड़ते लड़ते अरि झुण्ड गिरे, भू पर हय विकल वितुण्ड गिरे।
मेवाड़ केसरी देख रहा, केवल रण का न तमाशा था।
वह दौड़ दौड़ करता था रण, वह मान रक्त का प्यासा था।
चढ़कर चेतक पर घूम-घूम, करता सेना रखवाली था।
ले महामृत्यु को साथ-साथ, मानो साक्षात कपाली था।
रण-बीच चौकड़ी भर-भर कर, चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था।
गिरता न कभी चेतक तन पर, राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर, या आसमान पर घोड़ा था ।
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हाथी से हाथी जूझ पड़े, भिड़ गये सवार सवारों से।
घोड़े पर घोड़े टूट पड़े, तलवार लड़ी तलवारों से।
हय रुण्ड गिरे, गज मुण्ड गिरे, कट कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
लड़ते लड़ते अरि झुण्ड गिरे, भू पर हय विकल वितुण्ड गिरे।
मेवाड़ केसरी देख रहा, केवल रण का न तमाशा था।
वह दौड़ दौड़ करता था रण, वह मान रक्त का प्यासा था।
चढ़कर चेतक पर घूम-घूम, करता सेना रखवाली था।
ले महामृत्यु को साथ-साथ, मानो साक्षात कपाली था।
रण-बीच चौकड़ी भर-भर कर, चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था।
गिरता न कभी चेतक तन पर, राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर, या आसमान पर घोड़ा था ।
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