UPPSC 2019 General Studies-II Solved Paper

Show Para  Hide Para 
Question Numbers: 11-15
अधोलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए ।
मानव के पास समस्त जगत्‌ को देखने-परखने के दो नजरिए हैं, एक आशावादी दूसरा निराशावादी। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं। जो आशावादी या सकारात्‍मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकागत्मक दृष्टि वाले दुःख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं। वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुतर्क से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है। आशावादी कभी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आन्तरिक आनन्‍‍‍द की प्रतीति करता है। वह मानता है कि आत्मिक आनन्‍द कभी प्रहाार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है। किसी परंपरा का विरोध करने से ही प्रतिभा ऊपर नहीं उठती। विरोध से नाश होता है। इसलिए जगत में सदा आशावादी पनपा है, उसने ही मानव व्यक्तियों का सृजन किया है। निराशावाद या सकारात्मकता की नींंव पर कभी किसी जीवन - प्रसाद का निर्माण नहीं हुआ।
© examsnet.com
Question : 14
Total: 100
Go to Question: