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Question Numbers: 31-32
निर्देश: दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिए।
स्पष्टता, आत्म-विश्वास, विषय की अच्छी पकड़ और प्रभावशाली भाषा में अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करना ही सम्प्रेषण-कला है, जो निरंतर अभ्यास से निखारी जा सकती है। एक दिन में कोई अच्छा वक्ता नहीं बन सकता तथा भाषा पर अनायास ही किसी की पकड़ नहीं हो पाती। इसी अभ्यास से स्वामी विवेकानंद ने जिस सम्प्रेषण-कला का विकास किया था, उसने विश्वधर्म-सम्मेलन में लाखों अमेरिका-निवासियों को चकित और मोहित कर दिया था।
निर्देश: दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिए।
स्पष्टता, आत्म-विश्वास, विषय की अच्छी पकड़ और प्रभावशाली भाषा में अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करना ही सम्प्रेषण-कला है, जो निरंतर अभ्यास से निखारी जा सकती है। एक दिन में कोई अच्छा वक्ता नहीं बन सकता तथा भाषा पर अनायास ही किसी की पकड़ नहीं हो पाती। इसी अभ्यास से स्वामी विवेकानंद ने जिस सम्प्रेषण-कला का विकास किया था, उसने विश्वधर्म-सम्मेलन में लाखों अमेरिका-निवासियों को चकित और मोहित कर दिया था।
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