गरीबी रेखा निर्धारण में साक्षरता का उपयोग नहीं किया जाता है। हालाँकि तेंदुलकर कमिटी (2005) ने गरीबी के निर्धारण में खाद्यान्नों के अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी संरचना, स्वच्छ वातावरण, महिलाओं को काम तथा बच्चों की स्वास्थ्य लाभ तक पहुँच, इन छ: बुनियादी जरूरतों को महत्त्व दिया।