'वास्कोडिगामा' पुर्त्तगाली नाविक था। वह 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद 'अब्दुल मनीक' नामक गुजराती पथ प्रदर्शक की सहायता से भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाह कालीकट के तट पर 17 मई, 1498 ई. को पहुँचा। कालीकट पहुँचने पर वहाँ के शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया। वास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला दूसरा पूर्त्तगाली यात्री 'पेड्रो अल्ब्रेज कैब्राल' (1500 ई.) था। भारत में प्रथम पुर्त्तगीज वायसराय वे रूप में फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा (1505−1509) आया था।