बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी ग्राम में शाक्य क्षत्रिय कुल के राजा शुद्धोधन के यहाँ हुआ थ। महात्मा बुद्ध अपने धर्म प्रचार के अंतिम पड़ाव में हिरण्यवती नदी के तट पर स्थित कुशीनगर ( देवरिया, उत्तर प्रदेश) में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद 80 वर्ष की आयु ( 483 ई.पू.) में मृत्यु को प्राप्त हुए। इस घटना को बुद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा जाता है। 35 वर्ष की आयु में गया ( बिहार) में उरूवेला - नामक स्थान पर पीपल के वृक्ष के नीचे निरंजना नदी (फल्गु नदी) के तट पर वैशाख पूर्णिमा की रात्रि को समाधिस्थ अवस्था में सिद्धार्थ ( बुद्ध का बचपन का नाम ) को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसी दिन से वे महात्मा बुद्ध कहलाये। इस घटना के कारण गया को बोधगया के नाम से जाना जाने लगा। बोधगया से महात्मा बुद्ध सारनाथ में आए, जहाँ पर उन्होंने सर्वप्रथम पाँच ब्राह्मण सन्यासियों को अपना प्रथम उपदेश दिया, जिसे बौद्ध साहित्य में 'धर्मचक्रप्रवर्तन' कहा गया तथा उन्होंने यहीं पर सर्वप्रथम बौद्ध संघ की स्थापना की। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिए और मगध उनकी शिक्षाओं का प्रमुख केन्द्र रहा था।