भारत में पंचायती राज से अभिप्राय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन प्रणाली से है। 1992 के 73 वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा इसे संवैधानिकता प्रदान कर दी गई है। केन्द्रीय स्तर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) पंचायती राज निकायों से संबंधित मामलों की देखभाल करता है। यद्यपि स्थानीय प्रशासन राज्य सूची का विषय है। जनवरी 1957 में भारत सरकार द्वारा सामुदायिक विकास कार्यक्रम ( 1952) तथा राष्ट्रीय प्रसार सेवा (1953) के कार्यकरण के परीक्षण व उसके बेहतर प्रदर्शनार्थ अपेक्षित कदम सुझाने के लिए-बलवंतराय मेहता समिति का गठन किया गया। जिसने नवम्बर 1957 में अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की स्थापना संबंधी योजना का सुझाव दिया गया था, जो अंतत: पंचायती राज के रूप में विदित हुआ। इन सुझावों को राष्ट्रीय विकास परिषद् (NDC) नें 1958 में स्वीकार कर लिया। जिसके आधार पर तात्कालिक प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस योजना का उद्घाटन महात्मा गाँधी के जन्म दिवस पर 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले ( त्रिस्तरीय प्रणाली) से किया। तत्पश्चात् आंध्र प्रदेश नें राजस्थान का अनुसरण करते हुए 11 अक्टूबर, 1959 को राजमुंदरी से इस योजना का प्रारंभ किया।