छत्तीसगढ़ वे प्रमुख लोकनृत्य निम्नानुसार है:- पंथी-सतनामी जाति का परंपरागत नृत्य महत्ववूर्ण व्यक्ति-देवदास बंजारे एवं साथी सुआ-महिलाओं और किशोरियों द्वारा यह नृत्य किया जाता है। कोलिन जाति की स्त्रियाँ खरीफ फसल पकने पर द्वार-द्वार जाकर मंगल गीत गाते हुए यह नृत्य करती है, इसका दूसरा नाम गौरा नृत्य भी है। राउतनाच-यह यादवों द्वारा किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को पूर्वज मानने वाले यादवों का यह नृत्य 'गहिरा नाच' के नाम से भी जाना जाता है। यह नृत्य शौर्य का कलात्मक प्रदर्शन है। कृष्ण के द्वारा कंस के वध के बाद यह नृत्य विजय के प्रतीक स्वरूप प्रारंभ किया गया था। चंदैनी-यह आदिवासी नृत्य है। इसे पुरुष पात्र विशेष वेषभूषा में नृत्य के साथ चदैनी कथा प्रस्तुत करते हैं, यह मूलत: प्रेम गाथा है। राई नृत्य-यह बुंदेलखण्ड (मध्य प्रदेश) का लोकनृत्य है, जिसे कुछ शहरी लोग अश्लील करार दे रहे हैं, इसलिए चर्चा में है।