प्रश्न में स्वतंत्रता क्रांति के दौरान गाँधीजी से संबंधित विभिन्न घटनाओं का मिलान दिया हुआ है, जो इस प्रकार सही है:- (1) गाँधीजी की 11 सूत्री मांगे ने मानने के कारण ने अहिंसात्मक ढंग से 1930−31 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया, जिसके परिणाम- स्वरूप उन्हें यरवदा जेल में बंद किया गया। (2) 5 मार्च, 1931 ई. को तेज बहादुर सप्रू एवं जयकर के प्रत्यनों के फलस्वरूप अंतत: गाँधी-इरविन समझौता हुआ, इसे ही दिल्ली पैक्ट या दिल्ली समझौता कहा जाता है। इस समझौते में जिन राजनीतिक बंदियों पर हिंसा के आरोप वे, थे छोड़कर शेष को रिहा कर दिया गया। परिणामस्वरूप भगत सिंह , सुखदेव एवं राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को फाँसी दे दी गई। इसी घटना के पश्चात् करांची जाते समय गाँधीजी को काले झण्डे दिखाए गए। (3) अंग्रेजों की 'फूट डालो और शासन करो' की नीति का असली रूप तब सामने आया जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री 'रैम्जे मैकडोनॉल्ड ने 16 अगस्त, 1932 ई. को साम्प्रदायिक निर्णय प्रस्तुत किया, इसे ही साम्प्रदायिक पंचाट या कम्युनल अवार्ड (1932) कहते हैं। उस समय गाँधी जी पूना की यरवदा जेल में बंद थे। गाँधीजी ने इस घोषणा का प्रबल विरोध किया और अपनी मांग मनवाने के लिए 20 सितम्बर, 1932 से जेल में ही आमरण अनशन पर बैठ गए। (4) 1939 में जब सुभाष चंद्र बोस को त्रिपुरी अधिवेशन में दुबारा कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया, तो गाँधीजी द्वारा समर्थित उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया की हार हो गई। इस घटना के बाद ही गाँधी जी ने कहा, कि यह पराजय सीतारमैया की पराजय नहीं है, बल्कि उनसे अधिक मेरी पराजय है। इसी घटना को 1939 का त्रिपुरी संकट कहा जाता है। अत: विकल्प (1) सही होगा।