सूर्य से अत्यधिक ऊर्जा से लेकर निम्न ऊर्जा तक के प्रकाश पुंज विकिरण निकलते रहते हैं। इन्ही विकिरणों में पराबैंगनी किरणें विनाशकारी विकिरण है। जो अगर पृथ्वी तक पहुँच गयी तो पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन को समाप्त कर देगी। इसलिए पृथ्वी के वायुमण्डल में समतापमण्डल की निचली परत में पृथ्वी से 16-32 किमी. की ऊँचाई ओजोन (O2) की परत विद्यमान है। यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी प्रकाश की 93−99% मात्रा अवशोषित कर लेती है , परंतु कुछ मात्रा ( 1−8%) , जो कम आवृत्ति या ऊर्जा की होती है, उसे पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करने देती है, जिसके कारण मानव एवं जीवों में विटामिन D एवं अन्य कार्यों की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए आवश्यक है। औद्योगिक क्रांति के बाद उद्योगों एवं शीतलकों द्वारा वायुमण्डल में क्लोरो- क्लोरो कार्बन (CFC's) जैसी गैंसों के निसरण के कारण ओजोन परत को नुकसान पहुँचाया जा रहा है, जो पृथ्वी पर बहुत बड़े संकट को आने का मौका दे रहा है। इस पर युक्तियुक्त निर्बधन का नियंत्रण जरूरी है।