रेशमी वस्त्र कोसा के लिए चांपा, रायगढ़ और कोरबा क्षेत्र देशभर में विख्यात है। दण्डकारण्य क्षेत्र (बस्तर आदि) में रैली प्रजाति का टसर कोसा प्रचुर मात्रा में होता है। प्रदेश में रेशम उद्योग के लिए परियोजना आधारित विकास प्रक्रिया अपनाते हुए 'soil to silk' नामक परियोजना चलाई जा रही है। रेशम उद्योग के विकास के लिए पूर्व बिलासपुर संभाग के जिलों में जापान बैंक फॉर इण्टरनेशनल को-ऑपरेटिव के सहयोग से छत्तीसगढ़ रेशम परि- योजना प्रारंभ की गई है। जाँजगीर-चांपा व कोरबा का कोसा उत्पादन विश्व- विख्यात है तथा यहाँ कपड़ो का उत्पादक हथकरघा द्वारा होता है। कवर्धा में रेशम उद्योग नहीं है।