छत्तीसगढ़ में मुख्यत: कैम्ब्रियन पूर्व युग की चट्टनों की तहों से लोहा प्राप्त होता है। यहाँ मुख्यत: हेमेटाइट किस्म का लोहा मिलता है। प्रदेश का लगभग 2.73 बिलियन टन लौह अयस्क भण्डार है, जो देश का लगभग 18.67% है। 2013−14 में देश के लौह अयस्क उत्पादन में छत्तीसगढ़ का लगभग 19.78% के साथ देश में दूसरा स्थान था। राज्य में लौह अयस्क दन्तेवाड़ा ( बैलाडिला), नारायणपुर ( छोटे डोंगर ), कांकेर (रावघाट, चारगाँव, मेटबादेली, हाहालद्दी), राजनांदगाँव (बोरिया टिस्बू) एवं बालोद (डल्ली राजहरा) में प्राप्त होता है।